एक प्रेम कहानी.......बहुत पुरानी... ज़रा हट के...

Author: दिलीप /

चाँद और सूरज दो दोस्त हैं बचपन के...
एक के एहसास बस्ते हैं दूजे के मन मे...
सूरज का परिवार बहुत ज़्यादा अमीर था...
चाँद ग़रीबी की एक बिखरती तस्वीर था..

पर दोनो एक दूसरे पे जान छिड़कते थे...
अक्सर साथ मिल यूँही घूमा करते थे...
चाँद तो ग़रीबी से मुरझा ही गया होता...
अगर सूरज ने हरदम साथ न दिया होता..

वहीं पास ही एक झोपड़ी मे रात रहती थी...
ग़रीबी के अंधेरे मे ही वो डूबी रहती थी...
चाँद अक्सर उसकी गली से हो गुज़रता था...
रात का मन उससे मिलने को मचलता था….

वो उधार की चमक रात को बड़ी भाती थी...
अक्सर उसे देखने छत पे भाग आती थी...
चाँद ये जानकर भी अंजान बना रहता था....
क्यूंकी सूरज उस रात को प्यार करता था...

लेकिन उस रात का यौवन उसे बहका गया...
और एक दिन वो रात की बाहों मे समा गया...
सूरज का मन ये देख कर झुलस गया था...
पर जब चाँद ने देखा, तो वो हंस रहा था...

उस दिन से सूरज सिर्फ़ दोस्ती ही निभाता रहा...
उन दोनो का घर अपनी कमाई से सजाता रहा...
अब उनके आँगन मे प्यार की निशानिया हैं...
नन्हे मुन्ने तारों की प्यारी सी कहानियाँ है...

अब भी जब चाँद और रात खिलखिलाते हैं...
जब दोनो प्यार कर थक कर सो जाते हैं...
आसमान की सिलवटें सूरज को खलती हैं...
मन ही मन उसकी भावनाएँ पिघलती हैं...

पर फिर भी सूरज बस दोस्ती निभाता है...
अपना दर्द कहीं भी कभी नहीं जताता है..
दोनो आते हैं और वो कहीं छिप जाता है....
नही तो दिन भर बस यूँही जलता जाता है..

11 टिप्पणियाँ:

संजय भास्‍कर ने कहा…

daleep ji bahut -2 shukriya college ke din yaad dilane ke lye

संजय भास्‍कर ने कहा…

आपके लेखन ने इसे जानदार और शानदार बना दिया है....

सूर्यकान्त गुप्ता ने कहा…

पर फिर भी सूरज बस दोस्ती निभाता है...
अपना दर्द कहीं भी कभी नहीं जताता है..
दोस्ती का रिश्ता ही अलग है
सुन्दर।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बड़ी अच्छी दास्तान है सूरज और चाँद की....खूबसूरत कल्पना....और सूरज की जलन....अच्छी अभिव्यक्ति

Archana Chaoji ने कहा…

काश सूरज के इस दर्द को उसके दोस्त समझ पाते ....
और सूरज के साथ उसके जैसे ही , उससे दोस्ती निभाते ...
अब देखना सूरज अपने --पल-पल का बदला लेगा...
चाँद , रात और सितारों के साथ हम सबको भी जला देगा.......

दिलीप ने कहा…

dhanyawaad mitron....

Neha ने कहा…

chaand aur suraj ke baare me aisa khyaal.....kabhi aaya hi nahi..aapki kavita ne sachmuc mere dil ko chhu liya.....aapki kalpna shakti ko salaam.........is alag se vichaar ke liye...dhanywaad

दिलीप ने कहा…

Shukriya Neha ji...

Ravi Rajbhar ने कहा…

Are baap re..kamal ki lekhani hai sir,
aapne to puri prem kahani hi utar di..
is post ke liye badhai.

बेनामी ने कहा…

aapki kavita ne to dil chu liya bhut khub likha hai aapne salaam krti hu aapke vicharo ko jo na aaj tak kahi padha or na suna or na he kabhi dil me aaya ek kavita ko padh kr to dobara padhne ka mann krta hai...................mubarkbaad deti hu aapko aapke vicharo ke liye.

Yashi ने कहा…

aapki kavita ne to dil chu liya bhut khub likha hai aapne salaam krti hu aapke vicharo ko jo na aaj tak kahi padha or na suna or na he kabhi dil me aaya ek kavita ko padh kr to dobara padhne ka mann krta hai...................mubarkbaad deti hu aapko aapke vicharo ke liye.

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