ऐ चंदा! तू मेरे बड़ा काम आया…...

Author: दिलीप /


बचपन का जब मेरे सूना था आँगन...
खिलौने के सपनों मे खोया हुआ मन...
तभी माँ ने चुपके से तुझको दिखाया...
दिखाया था तुझमे वो बुढ़िया का साया...

तुझे देख कर ही था बचपन गुज़ारा...
ऐ चंदा! तू मेरे बड़ा काम आया...

जवानी मे जब जेब खाली पड़ी थी...
यूँ कूड़े मे मन के उम्मीदें सड़ी थी...
तभी मन के कोने मे लाली सी छाई...
सफ़र साथ चलने, दिखा एक राही...

उसे चाँद कह के ही मैने रिझाया...
ऐ चंदा! तू मेरे बड़ा काम आया...

धूपों मे जब मेरी साँसें उखड़ती...
जीने की पल पल उम्मीदें थी झड़ती...
मेहनत से दिन भर की, टूटा बदन था...
ये सब देख सन्गी, व्रतों मे मगन था...

तुझे अर्घ्य देकर, मुझे था बचाया...
ऐ चंदा! तू मेरे बड़ा काम आया...

थी मेरे भी घर जब कली एक आई...
दी खुशियों की हल्की सी लौ तब दिखाई...
मगर दर्द की तब चली तेज आँधी...
वो रोटी बिलखकर जो उसने थी माँगी...

तो थाली मे पानी से तुझको दिखाया...
ऐ चंदा! तू मेरे बड़ा काम आया…

36 टिप्पणियाँ:

kshama ने कहा…

Aah ! Aapne rula diya..khaas kar aakhree chhah panktiyan!

kunwarji's ने कहा…

waah!एक और अनुपम कृति....

कुंवर जी,

दिलीप ने कहा…

Dhanywaad Kshama ji aur Kunwar ji...

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

आप अपनी संवेदनाओं को शब्द देने में माहिर हैं.
....सुन्दर रचना!!!

SANJEEV RANA ने कहा…

अति सुंदर रचना
हमेशा से आपका प्रशंशक
जय हिंद, जय भारत
संजीव राणा

पी.सी.गोदियाल "परचेत" ने कहा…

एक और बेहतरीन रचना दिलीप जी , keep it up !

संजय भास्‍कर ने कहा…

daleep ji aaj to chaa gaye ho...

sonal ने कहा…

बेहतरीन कृति ! सहेजने योग्य

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

थाली में पानी में चंदा को दिखाना .....गज़ब बात लिखी है....बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

दिलीप ने कहा…

Sulabh ji...Sanjeev ji...Godiyaal ji...Sonal ji...Sangeeta ji...Sanjay ji...aap sabhi ka bahut abhaar jo aapne mere is prayaas ko saraha...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत उम्दा .......हमेशा की तरह !! भाई, हो सके तो अपनी टिप्पणियां भी हिंदी में दिया करो .......रोमन में नहीं !!

दिलीप ने कहा…

Shivam ji waqt kam nikal paata hai...office me bloig kholta nahi...ghar me thoda samay ki kami rehti hai isliye sabhi tippaniyan roman me hi de deta hun...koshish karunga ab hindi aksharon me dene ki...

Prakash Jain ने कहा…

bahut sundar rachna hai aapki

M VERMA ने कहा…

थाली में दिखाया
बहुत मार्मिक -- बहुत संवेदनशील

nilesh mathur ने कहा…

वाह! बहुत सुन्दर रचना है!

कडुवासच ने कहा…

...बेहतरीन रचना !!!

Parul kanani ने कहा…

bachpan mein har cheez anmol aur adbhut si lagti thi....koi mol nahi hai un yaadon ka :)

pallavi trivedi ने कहा…

बहुत अच्छी लिखा है.....आखिरी लाइने बहुत ही सुन्दर हैं!

Smart Indian ने कहा…

बहुत अच्छे!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत ही सुन्दर कविता है ... खास कर अंतिम कुछ पंक्तियाँ दिल को छुं गयी !

honesty project democracy ने कहा…

अच्छी भावनात्मक अभिव्यक्ति / उम्दा कविता / हम चाहते हैं की इंसानियत की मुहीम में आप भी अपना योगदान दें / पढ़ें इस पोस्ट को और हर संभव अपनी तरफ से प्रयास करें http://honestyprojectrealdemocracy.blogspot.com/2010/05/blog-post_20.html

vandana gupta ने कहा…

ek aur umda prastuti.

Kulwant Happy ने कहा…

वाह! उस्ताद बोलिए...

बेनामी ने कहा…

waah dilip bhai bahut khub....
achha likha hai aapne...
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mere blog par meri nayi kavita,
हाँ मुसलमान हूँ मैं.....
jaroor aayein...
aapki pratikriya ka intzaar rahega...
regards..
http://i555.blogspot.com/

दिलीप ने कहा…

bahut bahut dhanyawaad mitron...aapke sneh aur aasheesh ke liye bahut abhaar...

SKT ने कहा…

अब जा कर समझ आया! क्योंकि चाँद रोटी है, महबूब रोटी है। इसलिए महबूब चाँद है। एक और लेकिन भिन्न रोटी दास्तान। सुन्दर!

दीपक 'मशाल' ने कहा…

चाँद की जीवन की हर अवस्था में महत्ता बता डाली.. कमाल सोचते हो दिलीप

Nitish Raj ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति....
तुझे अर्घ्य देकर मुझे था बचाया
ऐ चांद तू मेरे बहुत काम आया।
सुंदर।

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

तो थाली में पानी से तुझको दिखाया
वाह क्या सोच है बहुत....................सुन्दर

Udan Tashtari ने कहा…

उसे चाँद कहके ही मैने रिझाया...हम तो उसे मामा कह कर रिझाते थे....उसे मामा कहके था मैने रिझाया...:)

बहुत जबरदस्त लिखते हो भाई..आनन्द आ जाता है. अद्भुत!!

Udan Tashtari ने कहा…

चाँद और उसे खिलौना मान बचपन बिताने वाले बिम्ब आपका हमने चुरा लिया अपनी अगली कहानी के लिए. :) बता दिया है..ताकि सनद रहे और वक्त पर काम आये..हा हा!!

Shri"helping nature" ने कहा…

waaah bhai kamal hai aapki rachnaon ka silsila isi tarah chalta rahe
7\10 for ur poem .
aage bhi intjaar rahega aapke poems ka

Kumar Jaljala ने कहा…

असली मीनाकुमारी की रचनाएं अवश्य बांचे
फिल्म अभिनेत्री मीनाकुमारी बहुत अच्छा लिखती थी. कभी आपको वक्त लगे तो असली मीनाकुमारी की शायरी अवश्य बांचे. इधर इन दिनों जो कचरा परोसा जा रहा है उससे थोड़ी राहत मिलगी. मीनाकुमारी की शायरी नामक किताब को गुलजार ने संपादित किया है और इसके कई संस्करण निकल चुके हैं.

Sam ने कहा…

yeh chand hai hi esa....
hamesha paas lagta hai .. hamesha apni roshni se kuch ummeed deta hai..
beautifully written with a very touchy end...

Atul Sharma ने कहा…

भावप्रवण कविता।

वाणी गीत ने कहा…

ये चंदा यूँ भी काम आया ...
अच्छी कविता ...!!

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