याद के पन्ने जो पलटे, तूने इक बोई ग़ज़ल...
नाम था उसमे जो तेरा, दिल में ही सोई ग़ज़ल...
चाँद कबका फेर कर मुँह, दूर है बैठा हुआ...
चाँद पर कबसे नहीं लिखी मैने कोई ग़ज़ल...
मीर, ग़ालिब, साहिरो को पूछता भी कौन, पर...
हो गये मशहूर सबने आँख से रोई ग़ज़ल...
उसको फ़ुर्सत ही नहीं थी, भूख से लड़ता रहा...
उसने तो ता-उम्र अपनी पीठ पर ढोई ग़ज़ल...
आग से जलती ज़मीं की, प्यास न देखी गयी...
आसमाँ ने आँसुओं से रात भर धोयी ग़ज़ल...
सूखे बादल, बम धमाके, भूख और बीमारियाँ...
हिंद की आँखों के सूनेपन मे ही खोई ग़ज़ल...
चंद सिक्कों की रगड़ से, आग कुछ पैदा हुई...
मुस्कुराते इक तवे पर, माँ ने है पोयी ग़ज़ल...
नाम था उसमे जो तेरा, दिल में ही सोई ग़ज़ल...
चाँद कबका फेर कर मुँह, दूर है बैठा हुआ...
चाँद पर कबसे नहीं लिखी मैने कोई ग़ज़ल...
मीर, ग़ालिब, साहिरो को पूछता भी कौन, पर...
हो गये मशहूर सबने आँख से रोई ग़ज़ल...
उसको फ़ुर्सत ही नहीं थी, भूख से लड़ता रहा...
उसने तो ता-उम्र अपनी पीठ पर ढोई ग़ज़ल...
आग से जलती ज़मीं की, प्यास न देखी गयी...
आसमाँ ने आँसुओं से रात भर धोयी ग़ज़ल...
सूखे बादल, बम धमाके, भूख और बीमारियाँ...
हिंद की आँखों के सूनेपन मे ही खोई ग़ज़ल...
चंद सिक्कों की रगड़ से, आग कुछ पैदा हुई...
मुस्कुराते इक तवे पर, माँ ने है पोयी ग़ज़ल...
19 टिप्पणियाँ:
"उसको फ़ुर्सत ही नहीं थी, भूख से लड़ता रहा...
उसने तो ता-उम्र अपनी पीठ पर ढोई ग़ज़ल..."
bahut khoob.....
सुभानाल्लाह.....हर शेर बेहतरीन.....दाद कबूल करें।
khoobsoorat ...
उसको फ़ुर्सत ही नहीं थी, भूख से लड़ता रहा...
उसने तो ता-उम्र अपनी पीठ पर ढोई ग़ज़ल...
वाह...
हर शेर खूबसूरत..
लाजवाब.
खुबसूरत खुबसूरत खुबसूरत हर शेर खूबसूरत..
Awesome...
सच कहा, गजल ऐसे ही नहीं बनती है..
बहुत ही सुन्दर ,बेहतरीन गजल.....
बेहद खूबसूरत
Behtareen
बेहतरीन गजल.....
आग से जलती ज़मीं की, प्यास न देखी गयी...
आसमाँ ने आँसुओं से रात भर धोयी ग़ज़ल...
bahut sunder rachna
लाजवाब शेर हाँ सभी आपकी इस गज़ल के ...
bhot khuub har ek shabd me he gajal.......
आग से जलती ज़मीं की, प्यास न देखी गयी...
आसमाँ ने आँसुओं से रात भर धोयी ग़ज़ल...
सूखे बादल, बम धमाके, भूख और बीमारियाँ...
हिंद की आँखों के सूनेपन मे ही खोई ग़ज़ल..
वाह ...बहुत खूब ।
बहुत खूबसूरत रचना!
आग से जलती ज़मीं की, प्यास न देखी गयी...
आसमाँ ने आँसुओं से रात भर धोयी ग़ज़ल...
vaah vaah daad kubool kijiye bahut bahut bahut pasand aai ghazal ek ek ashaar kamaal kai hai.
बेहतरीन गज़ल!!
बेहतरीन
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