दिल की कलम से...
खुद को आज़माने का...
Author: दिलीप /
हमारे दामनों पर खून के छींटे बहुत से हैं...
है आया वक़्त अब अपने ज़मीरों को जगाने का...
ये माँ का दूध, राखी हर बहन की हो नहीं ज़ाया...
ये मौका है खुदी से आज खुद को आज़माने का...
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