यहाँ हमारा दिल बुजदिल हो मरने को आमादा है...
वहाँ किसी ने मिट्टी खातिर कफ़न सरों पे बाँधा है...
आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात...
जिसको सब राजा कहते हैं वो तो खुद ही प्यादा है...
सबके दिल मे झाँक लिया है रूह कहीं पर नहीं मिली...
हर कोई हैवान हो चला, कम है कोई ज़्यादा है...
पिछले साल यहाँ आए थे, अबके साल भी आए हैं...
तब भी इक झूठा वादा था, अब भी झूठा वादा है...
कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...
रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...
कब तक यूँ यादों मे टहलू संग तुम्हारे ओ दिलबर'...
कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है...
वहाँ किसी ने मिट्टी खातिर कफ़न सरों पे बाँधा है...
आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात...
जिसको सब राजा कहते हैं वो तो खुद ही प्यादा है...
सबके दिल मे झाँक लिया है रूह कहीं पर नहीं मिली...
हर कोई हैवान हो चला, कम है कोई ज़्यादा है...
पिछले साल यहाँ आए थे, अबके साल भी आए हैं...
तब भी इक झूठा वादा था, अब भी झूठा वादा है...
कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...
रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...
कब तक यूँ यादों मे टहलू संग तुम्हारे ओ दिलबर'...
कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है...
19 टिप्पणियाँ:
wah...kahin satik...kahin bhavupurn...bahu khoob Dilipji
aisa lagta hai beete dino mein kaafi rachnayein ikhatti kar li aapne blog mitro ke liye...
ek se ek padhne mil rahi hai...
ज़बरदस्त!!! करारा व्यंग्य!! तमाचा!!
कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...
Waah...Behtariin rachna...Badhai swiikaren
Neeraj
आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात...
जिसको सब राजा कहते हैं वो तो खुद ही प्यादा है...
कब तक यूँ यादों मे टहलू संग तुम्हारे ओ दिलबर'...
कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है.
...bahut sundar rachna..
बहुत खूब...
करारी रचना..
सटीक रचना, आइना दिखाती
कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...
bahut sundar ..beharin rachna wah bahut hi sundar
बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं बेहतरीन अभिव्यक्ति ......
WELCOME to--जिन्दगीं--
वाह. शानदार गज़ल. बेहतरीन.
कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है...
सही है शत प्रतिशत... सुन्दर भाव... बेहतरीन प्रस्तुति
बहुत खूब... शानदार...
बधाईयां...
AAINA dikha rahi hai kavita....magar koi aaina dekh kar apni shakl pahchane to...
सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|
कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)
http://jazbaattheemotions.blogspot.com/
http://mirzagalibatribute.blogspot.com/
http://khaleelzibran.blogspot.com/
http://qalamkasipahi.blogspot.com/
एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साह बढ़ाये|
समाज के झूठे रहनुमाओं की हकीकत बयान करती गज़ल!! साधु-साधु!!
रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...
sidhi chot ki hai man par in panktyon ne
रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...
साधु-साधु
आभार
सबके दिल मे झाँक लिया है रूह कहीं पर नहीं मिली.... !
हर कोई हैवान हो चला, कम है कोई ज़्यादा है....!!
आपकी हर पंक्ति , आज के समाज की तस्वीर है.... !!!!
भाई दिलीप जी बहुत सुंदर रचना बधाई |
यथार्थ का आईना दिखती सार्थक रचना...
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