कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है...

Author: दिलीप /


यहाँ हमारा दिल बुजदिल हो मरने को आमादा है...
वहाँ किसी ने मिट्टी खातिर कफ़न सरों पे बाँधा है...

आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात...
जिसको सब राजा कहते हैं वो तो खुद ही प्यादा है...

सबके दिल मे झाँक लिया है रूह कहीं पर नहीं मिली...
हर कोई हैवान हो चला, कम है कोई ज़्यादा है...

पिछले साल यहाँ आए थे, अबके साल भी आए हैं...
तब भी इक झूठा वादा था, अब भी झूठा वादा है...

कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्‍हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...

रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...

कब तक यूँ यादों मे टहलू संग तुम्हारे ओ दिलबर'...
कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द--दिल से ज़्यादा है...

19 टिप्पणियाँ:

Prakash Jain ने कहा…

wah...kahin satik...kahin bhavupurn...bahu khoob Dilipji

aisa lagta hai beete dino mein kaafi rachnayein ikhatti kar li aapne blog mitro ke liye...

ek se ek padhne mil rahi hai...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

ज़बरदस्त!!! करारा व्यंग्य!! तमाचा!!

नीरज गोस्वामी ने कहा…

कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्‍हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...

Waah...Behtariin rachna...Badhai swiikaren

Neeraj

Kavita Rawat ने कहा…

आज सियासत की देखो तो कैसी है ये बिछी बिसात...
जिसको सब राजा कहते हैं वो तो खुद ही प्यादा है...
कब तक यूँ यादों मे टहलू संग तुम्हारे ओ दिलबर'...
कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है.
...bahut sundar rachna..

vidya ने कहा…

बहुत खूब...
करारी रचना..

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सटीक रचना, आइना दिखाती

ASHOK BIRLA ने कहा…

कौन जलेगा कौन बुझेगा अपनी अपनी किस्मत है...
चूल्‍हे सारे ठंडे हैं पर, जलन दिलों की ज़्यादा है...
bahut sundar ..beharin rachna wah bahut hi sundar

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति,मन की भावनाओं बेहतरीन अभिव्यक्ति ......
WELCOME to--जिन्दगीं--

Amit Chandra ने कहा…

वाह. शानदार गज़ल. बेहतरीन.

संध्या शर्मा ने कहा…

कीमत मिट्टी की खुश्बू की दर्द-ए-दिल से ज़्यादा है...
सही है शत प्रतिशत... सुन्दर भाव... बेहतरीन प्रस्तुति

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत खूब... शानदार...
बधाईयां...

अनामिका की सदायें ...... ने कहा…

AAINA dikha rahi hai kavita....magar koi aaina dekh kar apni shakl pahchane to...

बेनामी ने कहा…

सबसे पहले हमारे ब्लॉग 'जज्बात....दिल से दिल तक' पर आपकी टिप्पणी का तहेदिल से शुक्रिया.........आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ...........पहली ही पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब...........आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे|

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सम्वेदना के स्वर ने कहा…

समाज के झूठे रहनुमाओं की हकीकत बयान करती गज़ल!! साधु-साधु!!

sonal ने कहा…

रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...

sidhi chot ki hai man par in panktyon ne

Arun sathi ने कहा…

रंग भले हो एक मगर अब खूं की खूं से अनबन है...
घर जो एक हुआ करता था, अब वो आधा आधा है...


साधु-साधु

आभार

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

सबके दिल मे झाँक लिया है रूह कहीं पर नहीं मिली.... !
हर कोई हैवान हो चला, कम है कोई ज़्यादा है....!!
आपकी हर पंक्ति , आज के समाज की तस्वीर है.... !!!!

जयकृष्ण राय तुषार ने कहा…

भाई दिलीप जी बहुत सुंदर रचना बधाई |

Pallavi saxena ने कहा…

यथार्थ का आईना दिखती सार्थक रचना...

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