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- आओ मिलकर ज़रा इस पर भी गौर करते हैं...
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13 टिप्पणियाँ:
achha hi
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 27/07/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
पेटू पीड़ित भाषा है,
देता अजब दिलासा है।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(27-7-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
सूचनार्थ!
badhiya abhivyakti..
अच्छी लगी ग़ज़ल।
nice....
मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति ......
बहुत ही बढ़िया....! एक-एक शेर दिल के बहुत क़रीब से गुज़रा....
~सादर!!!
बहुत बढ़िया। प्रत्येक पंक्ति में एक कहानी है।
"कौन लेगा मुल्क़ की तकलीफ़, जब...
सबने सोचा जो हुआ अच्छा हुआ..."
बहुत सुंदर प्रस्तुति
काग़ज़ों पर फिर ग़रीबी मिट गयी...
और जो भूखा था, वो भूखा रहा.
हम्म्म कटु सत्य , बढ़ी बढ़ी कहानियां , रचनाये लिखते रहते हैं भुकमरी पर और भुखमरी जस की तस
हर पंक्ति दिमाग की उथल पृथक को उजागर करती
सोच में साड़ी समस्सयाएं घूमती हैं मगर शरीर अपनी ले में अपनी दीरचर्य करता आगे बढ़ता रहता हैं
बहुत गहरी सोच
सच्चाई को शब्दों में उतारना बखूबी आता है आपको
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