मेरे हाथों मे अपना हाथ दो और फिर देखो...
लकीरें जोड़ के तस्वीर नयी बनती है...
मुझे मालूम नहीं हैं शनि राहु केतु...
न उस चौकोर से डब्बे का कोई मतलब ही...
अगर होता भी है तो मिलके हम बनाएँगे...
वो चौकोर से डब्बे की नयी तस्वीरें...
जिसके खानों में होगा प्यार, सहारा मेरा...
तेरे होंठों की ज़रा सुर्खियाँ सजाएँगे...
किसी खाने में होगी तेरी वफ़ाएँ जानम...
उसी के सामने मेरी भी हसरतें होंगी...
किसी खाने में तेरी आँख के जो अश्क़ हुए..
उसी के सामने मेरे भी लब रखे होंगे...
तेरी मासूमियत को रख के किसी खाने में...
उसी के सामने मेरी समझ बिठा दूँगा...
तेरी हँसी की बनी होंगी चारों दीवारें...
लकीरें बीच की हम दोस्ती से खींचेंगे...
कहीं दिखा जो अगर एक भी बुरा एहसास...
तो दोनो छाप अपने हाथों की सज़ा देंगे...
जब यूँ पूरी सी कुंडली बनेगी ओ यारा...
मैं उसके बीच में इक नज़्म अपनी रख दूँगा...
जो ज़माने के पंडितों को समझ न आया...
मैं उन ढाई से अक्षरों की बात करता हूँ...
लकीरें जोड़ के तस्वीर नयी बनती है...
मुझे मालूम नहीं हैं शनि राहु केतु...
न उस चौकोर से डब्बे का कोई मतलब ही...
अगर होता भी है तो मिलके हम बनाएँगे...
वो चौकोर से डब्बे की नयी तस्वीरें...
जिसके खानों में होगा प्यार, सहारा मेरा...
तेरे होंठों की ज़रा सुर्खियाँ सजाएँगे...
किसी खाने में होगी तेरी वफ़ाएँ जानम...
उसी के सामने मेरी भी हसरतें होंगी...
किसी खाने में तेरी आँख के जो अश्क़ हुए..
उसी के सामने मेरे भी लब रखे होंगे...
तेरी मासूमियत को रख के किसी खाने में...
उसी के सामने मेरी समझ बिठा दूँगा...
तेरी हँसी की बनी होंगी चारों दीवारें...
लकीरें बीच की हम दोस्ती से खींचेंगे...
कहीं दिखा जो अगर एक भी बुरा एहसास...
तो दोनो छाप अपने हाथों की सज़ा देंगे...
जब यूँ पूरी सी कुंडली बनेगी ओ यारा...
मैं उसके बीच में इक नज़्म अपनी रख दूँगा...
जो ज़माने के पंडितों को समझ न आया...
मैं उन ढाई से अक्षरों की बात करता हूँ...
7 टिप्पणियाँ:
आनंदमय, बेहतरीन, लाजवाब और विचारों की सटीक अभिव्यक्ति | आभार
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आपको यह बताते हुए हर्ष हो रहा है के आपकी यह विशेष रचना को आदर प्रदान करने हेतु हमने इसे आज ३० मई, २०१३, बृहस्पतिवार के ब्लॉग बुलेटिन - जीवन के कुछ सत्य अनुभव पर लिंक किया है | बहुत बहुत बधाई |
वाह ,बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.
कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
http://mmsaxena69.blogspot.in/
bahut hi sundar abhivyakti..
ब्लॉग बुलेटिन की ५५० वीं बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन की 550 वीं पोस्ट = कमाल है न मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
"बहुत खूब तिवारी जी...सचमुच दिल की कलम से लिखा जान पड़ता है...!"
man ka ek anokha ehsaas.... Bahut hi sundar.
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