हम तो तुम्हारे इश्क़ मे आबाद हो गये....
दुनिया बता रही के हम बरबाद हो गये....
हालात भी अजीब हुए हैं तुम्हारे बाद...
हम क़ैद हुए और तुम आज़ाद हो गये...
मैं पास तुम्हारे, मगर हूँ दूर भी बहुत...
तुम फूल बने और, हम तो खाद हो गये...
कुत्ते जो इस गली मे, हिलाते थे दुम्म कभी...
कुर्सी पे चढ़ के, वो भी शहंशाह हो गये...
जो पल हमारे वास्ते, इक ज़िंदगी से थे...
उनके लिए कुछ दिन की मुलाकात हो गये...
धीरे से सरक के गिरे पलकों से मेरे गम...
काग़ज़ पे गिर के गम मेरे अशरार हो गये...
कुछ है जो हमे जोड़ता अब भी है, ये माना...
तुम कानपुर और हम इलाहाबाद हो गये...
जब मारना ही था तो फिर दोनो को मारते...
के आज बहुत संगदिल, सैय्याद हो गये....
इंसान दिखा तो खुदा ने जश्न मनाया...
इंसान भी तो ईद का हैं चाँद हो गये...
फिर याद के बादल, ज़रा आँखों पे छा गये...
लो फिर से किसी नज़्म के आसार हो गये
दुनिया बता रही के हम बरबाद हो गये....
हालात भी अजीब हुए हैं तुम्हारे बाद...
हम क़ैद हुए और तुम आज़ाद हो गये...
मैं पास तुम्हारे, मगर हूँ दूर भी बहुत...
तुम फूल बने और, हम तो खाद हो गये...
कुत्ते जो इस गली मे, हिलाते थे दुम्म कभी...
कुर्सी पे चढ़ के, वो भी शहंशाह हो गये...
जो पल हमारे वास्ते, इक ज़िंदगी से थे...
उनके लिए कुछ दिन की मुलाकात हो गये...
धीरे से सरक के गिरे पलकों से मेरे गम...
काग़ज़ पे गिर के गम मेरे अशरार हो गये...
कुछ है जो हमे जोड़ता अब भी है, ये माना...
तुम कानपुर और हम इलाहाबाद हो गये...
जब मारना ही था तो फिर दोनो को मारते...
के आज बहुत संगदिल, सैय्याद हो गये....
इंसान दिखा तो खुदा ने जश्न मनाया...
इंसान भी तो ईद का हैं चाँद हो गये...
फिर याद के बादल, ज़रा आँखों पे छा गये...
लो फिर से किसी नज़्म के आसार हो गये
15 टिप्पणियाँ:
वाह, बड़ी गहरी पंक्तियाँ...
बढ़िया भाई, बहुत बढ़िया!
वाह वाह....
इंसान दिखा तो खुदा ने जश्न मनाया...
इंसान भी तो ईद का हैं चाँद हो गये...
खास इस शेर के लिए..वाह वाह वाह ...
"धीरे से सरक के गिरे पलकों से मेरे गम...
काग़ज़ पे गिर के गम मेरे अशरार हो गये..."
sundar hai ji.....
kunwar ji.
जो पल हमारे वास्ते, इक ज़िंदगी से थे...
उनके लिए कुछ दिन की मुलाकात हो गये...
बहुत खूबसूरत है ये शेर|
हम तो तुम्हारे इश्क़ मे आबाद हो गये....
दुनिया बता रही के हम बरबाद हो गये....
...amazing writing
कुत्ते जो इस गली मे, हिलाते थे दुम्म कभी...
कुर्सी पे चढ़ के, वो भी शहंशाह हो गये.. Bahut khoob.
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
@ बहुत खूब .... लाजवाब... दिलीप जी...
एक एक शेर पर ढेरों ढेर तालियाँ...लाजवाब ग़ज़ल...वाह
बेहतरीन रचना...बधाई स्वीकारें .
नीरज
खूबसूरत रचना ..
बहुत खूब!!
हम तो तुम्हारे इश्क़ मे आबाद हो गये....
दुनिया बता रही के हम बरबाद हो गये....
हालात भी अजीब हुए हैं तुम्हारे बाद...
हम क़ैद हुए और तुम आज़ाद हो गये...
जो पल हमारे वास्ते, इक ज़िंदगी से थे...
उनके लिए कुछ दिन की मुलाकात हो गये...
sher to sabhi achchhe hain......
just amazzing....
बहुत ही खूबसूरत नज्म ...
अब तो वाकई कोई भी शब्द ही नहीं बचा शब्द कोश में तारीफ के लिए :)निशब्द करती रचना।
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