हमने उन शेरों मे, तेरा अक्स उभरते देखा है...

Author: दिलीप /

एक दिन भाई भाई को ही, दुश्मन बनते देखा है...
हमने आँगन बच्चों का भी, उस दिन बँटते देखा है...

जबसे माँ ने इस बाजू पर, बाँधी इक काली डोरी...
हमने हर तूफान को थमते, और तड़पते देखा है....

जबसे ये महंगाई बनके, मेहमां घर में आई है...
मिट्टी के ठंडे चूल्हों को, आँख से गलते देखा है...

यहाँ सियासत हमने देखा, जंगल से भी बदतर है...
यहाँ पे चूहों को अक्सर ही, साँप निगलते देखा है...

वहाँ इमारत के बाजू मे, एक झोपड़ी रहती है...
शाम से पहले उसका सूरज, हमने ढलते देखा है...

शोहरत अगर मिले तो मौला, पैर ज़मीन के अंदर हो...
ऊँचे पेड़ों को अक्सर ही हमने कटते देखा है...

कहाँ ईश है कहाँ खुदा है, बड़ी कशमकश है दिल मे...
हमने मंदिर मस्जिद खातिर, इक घर जलते देखा है...

डूब गयी जब कलम हमारी प्यार के गहरे सागर मे...
दर्द की उंगली थामे थामे, उसे उबरते देखा है...

कभी अगर लिखने बैठे और, गिरी आँख से बूँद 'करिश'...
हमने उन शेरों मे, तेरा अक्स उभरते देखा है...

15 टिप्पणियाँ:

आपका अख्तर खान अकेला ने कहा…

vaah jnab mana gye bhaia sch yhi he ke dil ki qlm se likha he isiliyen hr alfaaz men ghraayi or schchayi he mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वाह, शेरों में अक्स उभर कर आ जाये तो, शब्दों को निष्कर्ष मिल जाये।

kshama ने कहा…

शोहरत अगर मिले तो मौला, पैर ज़मीन के अंदर हो...
ऊँचे पेड़ों को अक्सर ही हमने कटते देखा है...

कहाँ ईश है कहाँ खुदा है, बड़ी कशमकश है दिल मे...
हमने मंदिर मस्जिद खातिर, इक घर जलते देखा है...
Wah!Wah!Wah! Behad sundar! Ek kya,ghar to kayi jale hain!

Anupama Tripathi ने कहा…

शोहरत अगर मिले तो मौला, पैर ज़मीन के अंदर हो...
ऊँचे पेड़ों को अक्सर ही हमने कटते देखा है...

भावना से भरी सुंदर शायरी -
नववर्ष की शुभकामनाएं .

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

deelip ji bahut din baad aapki rachna padhne ko mili..........
hamesha ki tarah jandaar...
happy new year..

sonal ने कहा…

likhte rahiye...bahut khoob

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बस दिलीप ऐसे ही आते रहिये ... और अपनी रचनाएँ पढ़ते रहिये !

बेहद उम्दा रचना है ! शुभकामनाएं !

Rajeev Bharol ने कहा…

बहुत अच्छी गज़ल. सभी अशआर अच्छे लगे.

संजय भास्‍कर ने कहा…

बेहद उम्दा रचना है ! शुभकामनाएं !
नववर्ष की शुभकामनाएं .

Shikha Deepak ने कहा…

bahut sunder......

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

deelip ji bahut din baad aapki rachna padhne ko mili..........
hamesha ki tarah jandaar...
happy new year..

PAWAN VIJAY ने कहा…

कहाँ ईश है कहाँ खुदा है, बड़ी कशमकश है दिल मे...
हमने मंदिर मस्जिद खातिर, इक घर जलते देखा है...

डूब गयी जब कलम हमारी प्यार के गहरे सागर मे...
दर्द की उंगली थामे थामे, उसे उबरते देखा है...

कभी अगर लिखने बैठे और, गिरी आँख से बूँद 'करिश'...
हमने उन शेरों मे, तेरा अक्स उभरते देखा है...
lazwab........

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव लिए रचना |बधाई
आशा

Creative Manch ने कहा…

बहुत ही अच्छी गज़ल.
सभी शेर बहुत अच्छे लगे.


आभार & शुभ कामनाएं

Milind Phanse ने कहा…

शोहरत अगर मिले तो मौला, पैर ज़मीन के अंदर हो...
ऊँचे पेड़ों को अक्सर ही हमने कटते देखा है...

- वाह! क्या खूब कहा है.

एक टिप्पणी भेजें