फ्लाइंग किस और इक ख़याल

Author: दिलीप /


याद है तुमको...
उस शाम जब तुमने लौटते हुए...
फ्लाइंग किस दी थी...
बादल शरमा के लाल हो गये थे...
बहुत याद करते हैं तुम्हें...
अब जब भी तुम्हारा खत आता है...
आ जाते हैं खिड़की से...
ले जाते हैं तुम्हारा काजल...
जो उन नम कोरे काग़ज़ो संग आ जाता है...
फिर उसे फैलाकर आसमान मे लोटते हैं...
तुम्हें याद करते हैं...
और खूब रोते हैं..

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बड़ी देर से जहेन में...
इक ख़याल भिनभिना रहा था...
बड़ा परेशान किया कम्बख़्त ने...
अंदर घूमते घूमते थककर...
पलकों के नीचे बैठ गया...
फिर धीरे से उतर आया काग़ज़ पर...
मौका देखते ही मार दिया उसको...
धब्बा पड़ गया है...
गीला हो गया है काग़ज़...

5 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

उफ़ ……………क्या करामात करते हैं आप शब्दो और भावो से

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह जी वाह फ़्लाइंग किस के साथ आया ख्याल तो बडा ही कमाल निकला । बहुत ही बढिया और सुंदर ।

M VERMA ने कहा…

बहुत खूब
बादलों को तो शर्माना ही था

बेनामी ने कहा…

दोनों ही नज्मे बेहतरीन हैं ।

Ashish ने कहा…

क्या कहूं .... इसकी तारीफ के लिए मेरे पास अलफ़ाज़ ही नहीं हैं!

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