बड़ा अजीब है वो...
रोज़ दुआ करता है कहीं भूकंप, एक्सीडेंट...
दंगा या कोई और बड़ा हादसा हो जाए...
सबसे पहले पहुँचता है वहाँ...
खून के तालाब उसे रास आते हैं...
लाशों के ढेर उसकी आँखें चमका देते हैं...
वो लाशों का बोझ हल्का करता है...
अब लाश को वक़्त क्या देखना..
कौन सा ऊपर जाकर रिश्वत देनी है...
घड़ियाँ, चेन, जो कुछ भी काम का हो...
सब उतार लेता है...
भगवान, खुदा में जब जब ठनती है...
ये तमाशा देखने ज़रूर जाता है...
जब जब ऊपरवाला बड़ा नाराज़ होता है...
ये बड़ा खुश होता है...
कोई काम नहीं करता...
पर घर मे सब कुछ है...
"आख़िर
भगवान का दिया सब कुछ जो है "
जंग...
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एक ताकतवर पड़ोसी को...
अच्छे नहीं लगते थे...
वो पड़ोस के काँच....
स्टील के गिद्ध भेजे थे...
मुँह मे पत्थर लिए...
ऊपर से काँच पर फेंक दिए...
काँच टूट कर बिखर गये...
लाशों की किरचे पड़ी रहीं...
कुछ नन्हे काँच जिन तक पत्थर पहुँच नहीं पाए...
चमक नहीं रहे थे...
बस आवाज़ कर रहे थे...
कोई कुछ टूटे काँच...
कैमरे में भर कर ले गया था....
कहता था ये टूटे काँच...
बड़े 'रेयर' हैं...
बड़े मँहगे बिकते हैं...
4 टिप्पणियाँ:
dark..very dark....
nicely expressed..............
उफ़ बेहद मार्मिक.....दोनों के दोनों ही शानदार ।
गहन भाव लिए उत्कृष्ट लेखन ...
बेहद गहन भाव
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