चूल्हे मे उसके अंगारे देखे हैं...

Author: दिलीप /


हमने दिन के घुप अँधियारे देखे हैं...
बुझ बुझ कर मर जाते तारे देखे हैं...

शाम मे फैले लाल खून मे सने हुए से...
थके थके बेहोश नज़ारे देखे हैं...

बोझ तले वो दबे हुए छुप छुप हैं रोते...
हंसते लब हमने बेचारे देखे हैं...

दरिया के कोने मे प्यासे हैं मर जाते...
ऐसे भी किस्मत के मारे देखे हैं...

जाने कबसे करता था वो सीली बातें...
उसके अंदर बहते धारे देखे हैं...

जब भी हम गुज़रे हैं उनके गाँव से होकर...
पोखर हमने सारे खारे देखे हैं...

रात उसे लाला के घर जाते देखा, कल...
चूल्हे मे उसके अंगारे देखे हैं...

13 टिप्पणियाँ:

vidya ने कहा…

बहुत खूब....
deep and meaningful....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

अत्यन्त प्रभावी संप्रेषण

Prakash Jain ने कहा…

Behtareen.....Adbhut lekhan...


It's a pleasure to read u... Superb writing..
Hats off....

बेनामी ने कहा…

i am speechless........haits off buddy for this gazal & the picture is also amazing.

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - आखिर कहां जा रहे हैं हम... ब्लॉग बुलेटिन...

amit kumar srivastava ने कहा…

nishabd karti rachnaa

behad maarmik..

vandana gupta ने कहा…

बेहद उम्दा और मार्मिक्।

दिगम्बर नासवा ने कहा…

दरिया के कोने मे प्यासे हैं मर जाते...
ऐसे भी किस्मत के मारे देखे हैं...

बहुत ही लाजवाब शेर ... सामाजिक महत्व के साथ ...

SKT ने कहा…

Hats off to you, sir! simply fabulous...!!

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

behtarin marmik rachana hai..

Aditya ने कहा…

//जाने कबसे करता था वो सीली बातें...
उसके अंदर बहते धारे देखे हैं...

//रात उसे लाला के घर जाते देखा, कल...
चूल्हे मे उसके अंगारे देखे हैं...

sannaataa hai bas.. !!

FrienDs 4 EveR. ने कहा…

nice dear i like it !!
i think u r a writer,,

Pallavi saxena ने कहा…

लाजवाब प्रस्तुति....

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