पिछवाड़े के कमरे का खाली सा बिस्तर...
बिना सिलवटें गर्द भरी वो सूनी चादर...
पड़ी हुई मायूस छतो पे कटी पतंगें ...
अलमारी मे पन्नी के दो चार तिरंगे...
घड़ियों की टिक टिक भी कितनी खलती होगी...
प्यारी ममता, याद मुझे जब करती होगी....
मुरझाया सा प्यार, किसी की सूनी बाहें...
दरवाजे की दस्तक को, बेचैन निगाहें...
सोच रहा, वो चेहरा कितना पीला होगा...
कोना क्या, पूरा ही आँचल गीला होगा...
तब यादों की बेल, कभी मन चढ़ती होगी...
प्यारी ममता, याद मुझे जब करती होगी....
शाम, सामने मैदानों मे नन्हे मेले..
खट्टी जामुन वाले रस्ते चलते ठेले...
पीपल के आँगन मे फैले सूखे पत्ते...
अलमारी के इक कोने में मेरे लत्ते...
देख देख ममता, मन मे घुट मरती होगी...
प्यारी ममता, याद मुझे जब करती होगी....
दीवाली पे बाकी घर जब सजते होंगे...
गली मे जब होली के गाने बजते होंगे...
राखी पे जब बहना छुप छुप रोती होगी...
लड़ती होगी सबसे, भूखी सोती होगी...
राह मेरे आने की, माँ तब तकती होगी...
प्यारी ममता, याद मुझे जब करती होगी....
51 टिप्पणियाँ:
दिलीप,
आजकल पारिवारिक रिश्तों को बहुत मिस कर रहे हो? तभी तो याद कर रहे हो।
होता है...........यही होता है.............. जब आप दूर होते हो तभी रिश्तो का सही मतलब पता चलता है ! बढ़िया रचना !
this is really good !!!
लेखन में दम होने के लिए --
पहले भावना में दम होना चाहिए
बहुत दम है तुम्हारी भावनाओं में ..
इस दम को बनाए रखना ....
मेरा आशीष ..!!!
लेखन में दम होने के लिए --
पहले भावना में दम होना चाहिए
बहुत दम है तुम्हारी भावनाओं में ..
इस दम को बनाए रखना ....
100% sahmat
hamari shubhkamnaye!
भावनाओं को जब आपके शब्दों का सहारा मिलता होगा तो उन्हें तो मोक्ष प्राप्ति का अनुभव ही होता होगा...
बहुत बढ़िया..
कुंवर जी,
...बेहद प्रभावशाली रचना,बधाई!!!
bahut gahari bhavnayein.
वो .इक बार फिर खूबसूरत नज़्म
तब यादों की बेल, कभी मन चढ़ती होगी...
ma se to ye bel choubees ghante liptee rahtee hai........
ye ek ma kee awaz hai...........
bahut sunder rachana............. dravit kar gayee akhiya..........
इस कविता को पढकर ममता का दर्द नज़रोंसे गुज़र गया... बहुत खूब!!
bahut sundar dilipji
http://sanjaykuamr.blogspot.com/
दीवाली पे बाकी घर जब सजते होंगे...
गली मे जब होली के गाने बजते होंगे...
राखी पे जब बहना छुप छुप रोती होगी...
लड़ती होगी सबसे, भूखी सोती होगी...
राह मेरे आने की, माँ तब तकती होगी...
प्यारी ममता, याद मुझे जब करती होगी...
Bahut hee bhavuk kar gayee apkee yah kavita....
सोच रहा, वो चेहरा कितना पीला होगा...
कोना क्या, पूरा ही आँचल गीला होगा...
मीठी यादों की कसक लिए एक प्यारी सी नज़्म
दिल को छू जाने वाली रचना । हमेशा की तरह जानदार
मां की ममता क्या होती है यह कम से कम अपने बच्चों को देख अनुभव कर लेता हूं। बहुत शानदार रचना। लगता है आप अभी व्यस्त हैं। नई पोस्ट के दर्शन नही?
बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है!
सोच रहा, वो चेहरा कितना पीला होगा...
कोना क्या, पूरा ही आँचल गीला होगा...
भावनाओं की उथल पुथल मचा देने वाली नज्म । आप सचमुच बहुत बधाई के पात्र हैं ।
मां की कहानी का सुन्दर चित्र
http://rajey.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर कविता ! आपकी पंक्तियों ने तो मुझे भावुक बना दिया !
bahut hi bhavuk rachna....
dilip ji aapki kalam jindabaad!
nice poem
touching to heart
ह्रदय को स्पर्श देती हुई रचना....
सुन्दर भाव...
बधाई!
jab bhi likhte ho kamaal karte ho yaar .... lazawaab
माँ पर दुनिया में जितना भी लिखा जाये कम है
बहुत सुन्दर रचना!
Dileep..bahut achchi lagee tumhari kavita..bahut kuch yaad aa gaya ..likhte raho..
jabrdast bhai
keep going
बहुत खूब लिखा आपने । भावपूर्ण वर्णन माँ की ममता का ।
रिश्तों का मूल्य जुड़ा होने पर ही महसूस होता है ... लाजवाब रचना है ...
कहाँ हैं आज कार्ल आप ... कोई रचना नही आई ...
अति सुन्दर ... सोचा था किसी दिन आराम से आ कर आप का ब्लॉग देखूंगा ... लगता है देर कर दी ...
bahut he khubsurat
bahut he marmik
bahut badhiyan
दिलीप बहुत अच्छे!
बहुत बढ़िया - परिपक्व रचना है। ताज़गी लिए नयापन और सुगठित अभिव्यक्ति - लयबद्ध, ज़्यादा क्या कहूँ - जारी रहिए।
आप अपने चुने रास्ते पर एकदम सही जा रहे हैं।
Dear Dileep,
bahut sunder blog aur bhavnapoorna kavitayen ,choo gayee man ko ,v.v.good approach towords life.
I am also from PratapGarh and working as A.Professor in Hindi in Govt.T.R.S.Excellence College,Rewa MP
My best wishes for literature and Life both.
bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com
राह मेरे आने की, माँ तब तकती होगी...
प्यारी ममता, याद मुझे जब करती होगी....
बेहद ही सुन्दर और भावनात्मक अभिव्यक्ति
regards
शानदार रचना
बहुत सुन्दर और संवेदनशील रचना है!
देर से आने के लिए माफ़ी, कई दिनों से टूर पर था!
भाई, दिल जीत लिया। मगर होमसिकनेस की महक आ रही है। बचने की कोशिश करो, नहीं तो कदम बढाने में दिक्कत होगी।
बहुत सुन्दर भाव
rula diya aapne.. baot bhaavpurna rachna
mitr kahan ho?
ek maheene se aapne kuchh bhi nahi likha ? kahaan kho gaye aap ?
kaha ho bhaai ...aaj kal ham bhi ....kisi kaaran blog se door hi hai ,,,,chalo aap aao usake baad hi ham aate hai...!!
बहुत सुन्दर भाव. बढ़िया रचना
2 mahine hone ko aaye....
aapki kalam ka intzaar hai.....
bahut khoob...
likhte rahiye...
Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....
A Silent Silence : Naani ki sunaai wo kahani..
Banned Area News : Gay marriages can resume in California
shukriya
I love mamma
I love mamma
I love mamma
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