हस्ती नहीं मिटी पर इंसान मिट चुका है...
फन्दो पे जो चढ़ा था वो जवान मिट चुका है...
कोई महल मे सोता, कोई मरा सड़क पे...
माँ भारती का मन से अब ध्यान मिट चुका है...
यौवन नशे मे डूबा, बचपन दबा हुआ है...
वृद्धों का आज कल तो सम्मान मिट चुका है...
इक नीव थी बनाई, उसपर थे स्वप्न रखे...
वो राम कृष्ण कल्पित निर्माण मिट चुका है...
पूरब अभी भी थोड़ा रक्तिम सा दिख रहा है...
देखो कहीं ये लाली कालिख में ढल न जाए...
हैं संस्कार वो ही , बस धूल कुछ जमी है...
सम्हलो जरा कहीं ये भारत बदल न जाए...
फन्दो पे जो चढ़ा था वो जवान मिट चुका है...
कोई महल मे सोता, कोई मरा सड़क पे...
माँ भारती का मन से अब ध्यान मिट चुका है...
यौवन नशे मे डूबा, बचपन दबा हुआ है...
वृद्धों का आज कल तो सम्मान मिट चुका है...
इक नीव थी बनाई, उसपर थे स्वप्न रखे...
वो राम कृष्ण कल्पित निर्माण मिट चुका है...
पूरब अभी भी थोड़ा रक्तिम सा दिख रहा है...
देखो कहीं ये लाली कालिख में ढल न जाए...
हैं संस्कार वो ही , बस धूल कुछ जमी है...
सम्हलो जरा कहीं ये भारत बदल न जाए...
23 टिप्पणियाँ:
आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
देर आमद .....दुरुस्त आमद !
जय हिंद !!
Bahut khoob sir ji,
bahut badhai.
बहुत दिनों बाद लौटे हो ..पथिक ..कहाँ खो गए थे ? हर किसी ने पन्द्रह अगस्त का अलग अलग रंग देखा ...आपने देखा कहीं ऐसा न हो जाए ..हो सके तो बचा लें ...बढ़िया । स्वतंत्रता दिवस की बधाई हो ।
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं .
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (16/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
सटीक रचना.
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप एवं आपके परिवार का हार्दिक अभिनन्दन एवं शुभकामनाएँ.
सादर
समीर लाल
दिलीप भाई,
आपने यह ज़रूरी बात बहुत सुन्दरता से कही। काश हम स्वाधीनता का अर्थ समझकर इसे अमली जामा पहना सकें!
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें!
वन्दे मातरम्!
दिलीप जी, नमस्कार, आँखे तरस गयी आप की रचना पढने के लिए , कहाँ गायब हो गए थे, इस तरह बिना बताए जाना ठीक नहीं है, स्वाधीनता दिवस की शुभकामना!
कहाँ चले गए थे, दिलीप भाई?...बड़ा ही शुभ दिन चुना है प्रकट होने का! आजादी की वर्ष गांठ पर सभी को बधाई.
... behatreen .... badhaai va shubhakaamanaayen !!!
bahut khoob...........
deh ke liye kuch maine bhi likha hai,apka swagat hai mere bog par.......intezaar rahega....
shubhkamnayein
बहुत सुन्दर ...
बन्दी है आजादी अपनी, छल के कारागारों में।
मैला-पंक समाया है, निर्मल नदियों की धारों में।।
--
मेरी ओर से स्वतन्त्रता-दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें!
--
वन्दे मातरम्!
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं.............
itane din kahan rahe............
bas aajkal padhai me thoda vyast hun..aaj ke din khud ko rok nahin paya..itihaas padh raha hun....bahut kuch sahi galat jaan raha hun...aap sabhi ka ashish yunhi miklta rahe bas yahi kaamna hai...badlaav zaruri hai kuch karne ka prayas karna hai....
दिलीप जी,
दिल ईप ईप करता रहा आपके जाने के बाद.
मिल ती नहीं थी सृजन को टिप्पणी की खाद.
इतिहास में उलझे रहे वर्तमान को छोड़.
अब प्रेम की यादों की जम चुकी है गाद.
............
क्या इतनी आजादी भी नहीं है आपको
कि कर सको चिर परिचितों से कुछ संवाद.
वाह री आजादी!
भूमिगत हुए बिन सूचना के ...
देश को अभी भी ज़रुरत है कलम के सिपाह-सलारों की. इस बात को समझें.
एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
ek baat se main poori tarah sehmat hoon ki aise divas par zyada zaroori hai ki desh ki maujooda haalat pe prashn uthaaye jaaye aur vichar kiye jaaye...mujhe jashn manaane ki koi baat nazar nahi aati..aapne aisa savaal kiya,achha savaal kiya iske liye badhayee aur aabhaar
हैं संस्कार वो ही , बस धूल कुछ जमी है...
सम्हलो जरा कहीं ये भारत बदल न जाए...
अब तो संभालना ही होगा ...!
सुन्दर कविता ..!
सुंदर देश भक्ति गीत.
..वन्दे मातरम्.
bahut dino se aapki kavita ke darshan nahi huye the lekin woh kehte hain na der aaye durust aaye....
bahut hi achhi rachna.....
umeed hai in dino me humein bhule nahi honge.....
beautiful poem
you said it all
wah bahut khoob
m fir se blog jagat me aa gya hun
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
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