दिल की कलम से...
खुद को आज़माने का...
Author: दिलीप /
हमारे दामनों पर खून के छींटे बहुत से हैं...
है आया वक़्त अब अपने ज़मीरों को जगाने का...
ये माँ का दूध, राखी हर बहन की हो नहीं ज़ाया...
ये मौका है खुदी से आज खुद को आज़माने का...
4 टिप्पणियाँ:
प्रवीण पाण्डेय
ने कहा…
सच है..
28 दिसंबर 2012 को 7:34 pm बजे
संध्या शर्मा
ने कहा…
सटीक अभिव्यक्ति...
29 दिसंबर 2012 को 6:40 am बजे
देवेन्द्र पाण्डेय
ने कहा…
सही लिखा आपने...ये मौका है खुदी से आज खुद को आज़माने का।
30 दिसंबर 2012 को 3:17 am बजे
इमरान अंसारी
ने कहा…
बिलकुल सही कहा।
31 दिसंबर 2012 को 11:42 pm बजे
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सही लिखा आपने...ये मौका है खुदी से आज खुद को आज़माने का।
बिलकुल सही कहा।
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