खुद को आज़माने का...

Author: दिलीप /


हमारे दामनों पर खून के छींटे बहुत से हैं...
है आया वक़्त अब अपने ज़मीरों को जगाने का...
ये माँ का दूध, राखी हर बहन की हो नहीं ज़ाया...
ये मौका है खुदी से आज खुद को आज़माने का...

4 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सच है..

संध्या शर्मा ने कहा…

सटीक अभिव्यक्ति...

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सही लिखा आपने...ये मौका है खुदी से आज खुद को आज़माने का।

इमरान अंसारी ने कहा…

बिलकुल सही कहा।

एक टिप्पणी भेजें