अजब कशमकश है दिल में, है ये काँटा या फूल खिला...
टिका हुआ तारा माँगा, मुझको आवारा चाँद मिला....
जमा किया था तुझे जहाँ पर, दिल की वो गुल्लक फोड़ी...
तेरा कुछ भी हाथ न आया, बस इक टूटा काँच मिला....
ग़म ने खड़ी क़तारों में भी, एक हमें चुन रखा है...
थोड़ा तुझसे पहले आया, थोड़ा तेरे बाद मिला...
एक तुम्हारी हँसी की झालर खींच यहाँ तक ले आई...
थोसा सा जो नीचे उतरे, दिल तेरा बरबाद मिला...
प्यार के सागर के धोखे में, झाँका तेरी आँखों में...
मुझ प्यासे को इन आँखों में, सूखा इक तालाब मिला...
दिल की रेत पे कदम तुम्हारे एक निशानी छोड़ गये...
गौर से देखा निशाँ को मैंने, मरा हुआ एहसास मिला...
गले लगाया, प्यार से चूमा, मुझे छोड़ फिर नहीं गयी...
मौत गिला क्या करूँ मैं तुझसे, तुझसे सच्चा प्यार मिला...
4 टिप्पणियाँ:
जमा किया था तुझे जहाँ पर, दिल की वो गुल्लक फोड़ी...
तेरा कुछ भी हाथ न आया, बस इक टूटा काँच मिला....
Behtareen...kya khoob jama kiya...bahut sundar
थोसा सा - shayad typing error hai yahan
जमा किया था तुझे जहाँ पर, दिल की वो गुल्लक फोड़ी...
तेरा कुछ भी हाथ न आया, बस इक टूटा काँच मिला....
ग़म ने खड़ी क़तारों में भी, एक हमें चुन रखा है...
थोड़ा तुझसे पहले आया, थोड़ा तेरे बाद मिला...
वाह ... बहुत खूब
गहरी अभिव्यक्ति।
प्यार के सागर के धोखे में, झाँका तेरी आँखों में...
मुझ प्यासे को इन आँखों में, सूखा इक तालाब मिला...
दिल की रेत पे कदम तुम्हारे एक निशानी छोड़ गये...
गौर से देखा निशाँ को मैंने, मरा हुआ एहसास मिला..
gahari ehsas hai.
एक टिप्पणी भेजें