कुछ यूँही...

Author: दिलीप /

दोस्ती और ज़रूरत....

छुटपन में बड़ी चवन्नीयाँ इकट्ठी की थी...
कई चवन्नीयाँ वक़्त रहते रुपयों में बदल ली....
कुछ अभी भी रहती होंगी, पुराने ज्योमेट्री बॉक्स वाले घर मे...
पर अब क्या..अब तो चवन्नीयाँ नहीं चलती...
दादी...

घर की थाली मे गुन्थे हुए आटे की तरह...
बैठी रहती है, उससे कोई बात नहीं करता...
रोट पकते अगर बासी वो न हुई होती...
रोटी...
घर आया ही था मचल उठे नन्हे तारे...
वो आज पोटली मे चाँद भर के लाया था...
चाँद टुकड़ों मे बँट गया है रोशनी के लिए...
ज़िंदगी...
ज़िंदगी क्या है? कबाड़ के खिलौना बनने से...
खिलौनों के कबाड़ बन जाने की दास्तान...
उम्र बढ़ने के साथ साथ कीमत घटती जाती है...
कहते हैं...
  कहते हैं जब घर की मुंडेर पे कौव्वा बोले...
तो समझो घर मे कोई मेहमान आएगा...
पहले होता होगा, अब तो वो घर हैं...
न मुंडेर, न कौव्वे और न ही वो मेहमान...
याद के बच्चे
तुम्हारी याद के बच्चे बड़े शैतान है....
दरवाजा खटखटाते हैं, भाग जाते हैं...
उनसे बोलो न दरवाजा खोलने मे तकलीफ़ होती है...
अब दिल के जोड़ों मे बड़ा दर्द रहता है...

18 टिप्पणियाँ:

Arun sathi ने कहा…

ज़िंदगी क्या है? कबाड़ के खिलौना बनने से...
खिलौनों के कबाड़ बन जाने की दास्तान...
उम्र बढ़ने के साथ साथ कीमत घटती जाती है...

bahut gamvir kawita

vandana gupta ने कहा…

क्या कहूँ ………ज़िन्दगी के हर पक्ष का सटीक चित्रण कर दिया।

Archana Chaoji ने कहा…

Jindagee aur Yaad ke bachhe .....behatar..hamesha ki tarah...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

वाह....
सभी क्षणिकाएँ सुंदर...

घर आया ही था मचल उठे नन्हे तारे...

वो आज पोटली मे चाँद भर के लाया था...
चाँद टुकड़ों मे बँट गया है रोशनी के लिए....

ये दिल को छू गयी....
अनु

Shekhar Suman ने कहा…

बहुत खूब.... आपके इस पोस्ट की चर्चा कल 24-5-2012 ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकाशित होगी... धन्यवाद.... अपनी राय अवश्य दें...

kshama ने कहा…

तुम्हारी याद के बच्चे बड़े शैतान है....
दरवाजा खटखटाते हैं, भाग जाते हैं...
उनसे बोलो न दरवाजा खोलने मे तकलीफ़ होती है...
अब दिल के जोड़ों मे बड़ा दर्द रहता है...
Kya gazab likha hai!

शारदा अरोरा ने कहा…

bahut achchha likha hai...dil ko chhua

sonal ने कहा…

एक एक क्षणिका बेहतरीन

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

छोटी छोटी चीजों में निकलती बड़ी बड़ी बातें।

बेनामी ने कहा…

subhanallah.....sabhi ki sabhi shandar.

संजय भास्‍कर ने कहा…

सभी क्षणिकाएँ सुंदर.....!!

Anupama Tripathi ने कहा…

क्षणिकाएँ सभी बहुत सुंदर हैं ...!
शुभकामनायें..!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आज 21/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

तुम्हारी याद के बच्चे बड़े शैतान है....
दरवाजा खटखटाते हैं, भाग जाते हैं...
उनसे बोलो न दरवाजा खोलने मे तकलीफ़ होती है...
अब दिल के जोड़ों मे बड़ा दर्द रहता है...

बहुत सुंदर क्षणिकाएं

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण रचना !

काश!
कोई समय के पहिए को कहे ...
या तो धीरे चले...या फिर सीधे मंज़िल पर पहुँचा दे,
चरखी की भूलभुलैया में यूँ ...
भटकने को दिल नहीं करता....
सादर !!!

निवेदिता श्रीवास्तव ने कहा…

दिल के जोड़ .... नमन है आपकी सोच को !!!

Pallavi saxena ने कहा…

याद के बच्चे

तुम्हारी याद के बच्चे बड़े शैतान है....
दरवाजा खटखटाते हैं, भाग जाते हैं...
उनसे बोलो न दरवाजा खोलने मे तकलीफ़ होती है...
अब दिल के जोड़ों मे बड़ा दर्द रहता है...

उफ़्फ़...मार ही दिया आज तो आपने इन पंक्तियों को लिखकर अब क्या कहूँ सिर्फ मौन ही काफी है।

Saras ने कहा…

वाह दिलीप जी ...वैसे तो सारी ही रचनायें उत्कृष्ट हैं पर

याद के बच्चे

तुम्हारी याद के बच्चे बड़े शैतान है....
दरवाजा खटखटाते हैं, भाग जाते हैं...
उनसे बोलो न दरवाजा खोलने मे तकलीफ़ होती है...
अब दिल के जोड़ों मे बड़ा दर्द रहता है...

बहुत ही ज्यादा पसंद आयी...साभार !!!!

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