tag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post4288565820948579225..comments2023-10-24T08:50:13.552-07:00Comments on दिल की कलम से...: जब उसने बच्चे के मुँह मे दो दाँतों को उगते देखा...दिलीपhttp://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-82004308225266864732010-06-03T04:40:14.806-07:002010-06-03T04:40:14.806-07:00bade dinon se ek sadi mein...wah..
bahut khoob dil...bade dinon se ek sadi mein...wah..<br />bahut khoob dilip babu.Dankiyahttps://www.blogger.com/profile/02332646265203329472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-22227477553227968192010-05-26T09:19:50.521-07:002010-05-26T09:19:50.521-07:00सूरज तब कुछ और जला जब बूँद पसीने की टपकी थी...
भरी...सूरज तब कुछ और जला जब बूँद पसीने की टपकी थी...<br />भरी ठंड मे ठिठुर रहे थे, सूरज को तब ढलते देखा....<br />बहुत अच्छी प्रस्तुति। सादर अभिवादन।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-37557981519423447342010-05-24T17:19:00.754-07:002010-05-24T17:19:00.754-07:00सूरज तब कुछ और जला जब बूँद पसीने की टपकी थी...
भरी...सूरज तब कुछ और जला जब बूँद पसीने की टपकी थी...<br />भरी ठंड मे ठिठुर रहे थे, सूरज को तब ढलते देखा....<br /><br />बड़े दिनों से इक साड़ी मे जिसको देखा करते थे हम...<br />आज उसे भी मजबूरी मे बनते और सँवरते देखा... <br /><br />ye 2 lines kaafi achchhi lagi...Manishhttps://www.blogger.com/profile/01119933481214029375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-47813326134129199782010-05-23T09:40:03.787-07:002010-05-23T09:40:03.787-07:00shukriya dostoshukriya dostoदिलीपhttps://www.blogger.com/profile/15304203780968402944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-43030173087922303222010-05-23T04:03:40.088-07:002010-05-23T04:03:40.088-07:00...बहुत सुन्दर... प्रसंशनीय रचना, बधाई !!!...बहुत सुन्दर... प्रसंशनीय रचना, बधाई !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-21549271215519530712010-05-23T02:20:03.976-07:002010-05-23T02:20:03.976-07:00very nice.....very nice.....soni garg goyalhttps://www.blogger.com/profile/04213856425345615300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-16727841437336737812010-05-23T02:19:26.767-07:002010-05-23T02:19:26.767-07:00झकझोर के रख दिया आपकी रचना नेझकझोर के रख दिया आपकी रचना नेAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02964602014678479457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-14922702007774037842010-05-22T23:43:55.396-07:002010-05-22T23:43:55.396-07:00बहुत बढ़िया दिलीप भाई ...जीते रहिये | पर सच में आज...बहुत बढ़िया दिलीप भाई ...जीते रहिये | पर सच में आज बड़ी घिन सी आयी ख़ुद अपने ऊपर | यह तो हमारे चारों तरफ का वो सत्य है जिसे हम सिर्फ देख कर लिख लेते हैं और पढवाते हैं उन लोगों को जो ये सब ख़ुद देखते समझते हैं ही | इसके अलावा हम क्या कुछ कर्म भी कर रहें हैं, जो ऐसे लोगों की दुनिया में कुछ उजाला हो ....बिलकुल नहीं | सिर्फ ड्राइंग रूम की बहस, कविता चर्चा और सजावट बन कर रह गए हैं हम |Yogesh Sharmahttps://www.blogger.com/profile/13296401748828517861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-70540632412504232172010-05-22T22:48:36.495-07:002010-05-22T22:48:36.495-07:00बड़े दिनों से इक साड़ी मे जिसको देखा करते थे हम......बड़े दिनों से इक साड़ी मे जिसको देखा करते थे हम...<br />आज उसे भी मजबूरी मे बनते और सँवरते देखा... <br /><br />मार्मिक....सुन्दर रचना....सार्थक अभिव्यक्तिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-43439900872313713062010-05-22T22:43:43.804-07:002010-05-22T22:43:43.804-07:00बड़े दिनों से इक साड़ी मे जिसको देखा करते थे हम......बड़े दिनों से इक साड़ी मे जिसको देखा करते थे हम...<br />आज उसे भी मजबूरी मे बनते और सँवरते देखा... <br /><br />रिया कल से बेचैनी मे बदहवास सा घूम रहा था...<br />जब उसने बच्चे के मुँह मे दो दाँतों को उगते देखा...<br /><br />kya likha hai kasam se...is daur pe kitni paini nigaah rakhte ho dost.... poori ghazal achhi hai ...ye do sher khaas pasand aaye mujheस्वप्निल तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/17439788358212302769noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-9894628267946456522010-05-22T11:25:30.005-07:002010-05-22T11:25:30.005-07:00बेहतरीन ! हमेशा की तरह लाजवाब ...
आप इतना संवेदना ...बेहतरीन ! हमेशा की तरह लाजवाब ...<br />आप इतना संवेदना कहाँ से लाते हैं ? <br />सच है, जो आम आदमी रोज देखकर भी भूल जाता है, वो कवी देखता है तो उसका नजरिया अलग होता है ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-23483062065224583772010-05-22T11:23:56.384-07:002010-05-22T11:23:56.384-07:00मेरे ब्लॉग की थीम से मिलती जुलती फोटो लगाई है भाई ...मेरे ब्लॉग की थीम से मिलती जुलती फोटो लगाई है भाई ..............लिए जाता हूँ साथ !!शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-77212358991106950682010-05-22T11:22:07.829-07:002010-05-22T11:22:07.829-07:00बेहद पेनी नज़र ....................बेहद उम्दा रचना ...बेहद पेनी नज़र ....................बेहद उम्दा रचना ..................और कौन ........दिलीप अपना !!शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-62904394181776234472010-05-22T10:31:13.645-07:002010-05-22T10:31:13.645-07:00बड़ी गहरी नज़र रखते है आप .. साथ में शब्द और भावनाए...बड़ी गहरी नज़र रखते है आप .. साथ में शब्द और भावनाए भी कमालsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-72998424113511735402010-05-22T08:12:31.102-07:002010-05-22T08:12:31.102-07:00लघु मानव के त्रासद,संत्रास व यंत्रणा भरे जीवन की य...लघु मानव के त्रासद,संत्रास व यंत्रणा भरे जीवन की यथार्थ प्रस्तुति..........श्रेष्ठ लेखन हेतु बधाई।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03959513530880200076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-22365069264280049592010-05-22T07:14:38.316-07:002010-05-22T07:14:38.316-07:00हरिया कि बेचैनी एक पेट से ज़्यादा दो दांत देखकर हो....हरिया कि बेचैनी एक पेट से ज़्यादा दो दांत देखकर हो...या एक ही साडी में रहने वाली औरत का संवरना हो...या श्वानों को मिलते दूध वस्त्र भूखे बालक अकुलाते हों... यही तो फर्क है इंडिया और भारत का..जो आपने दिखाया है..धन्यवाद!!सम्वेदना के स्वरhttps://www.blogger.com/profile/12766553357942508996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-89406396213159781952010-05-22T07:05:27.370-07:002010-05-22T07:05:27.370-07:00फूलों का इक बाग सजाकर नागफनी इक उसमे बोया...
ग़लती...<b>फूलों का इक बाग सजाकर नागफनी इक उसमे बोया...<br />ग़लती की थी, हमने हर इक फूल को काँटा बनते देखा...</b><br />बहुत बढ़िया!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-45617988084834673332010-05-22T07:05:18.377-07:002010-05-22T07:05:18.377-07:00आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-15191335262881803702010-05-22T06:30:19.091-07:002010-05-22T06:30:19.091-07:00आज इंसानियत की दर्दनाक अवस्था पर विचार करती कविता ...आज इंसानियत की दर्दनाक अवस्था पर विचार करती कविता ,दिलीप जी आपका विषय एकदम सार्थक होता है ,इसे बनाये रखें / दिल्ली में कल पूरे देश के ब्लोगरों के सभा का आयोजन किया जा रहा है जो ,नांगलोई मेट्रो स्टेशन के पास जाट धर्मशाला में किया जा रहा है ,आप सबसे आग्रह है की आप लोग इसमें जरूर भाग लें और एकजुट हों / ये शुभ कार्य हम सब के सामूहिक प्रयास से हो रहा है /अविनाश जी के संपर्क में रहिये और उनकी हार्दिक सहायता हर प्रकार से कीजिये / अविनाश जी का मोबाइल नंबर है -09868166586 -एक बार फिर आग्रह आप लोग जरूर आये और एकजुट हों /<br /> अंत में जय ब्लोगिंग मिडिया और जय सत्य व न्याय<br /> आपका अपना -जय कुमार झा ,09810752301honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-3506456775108921032010-05-22T05:54:01.892-07:002010-05-22T05:54:01.892-07:00@"वैसे एक बात कहूँ, ये कट-पेस्ट के असुविधा (ल...@"वैसे एक बात कहूँ, ये कट-पेस्ट के असुविधा (लॉक ) ख़ास लाभकारी नहीं"<br />बिलकुल सही कह रहे है गोदियाल साहब, कॉपी-पेस्ट से अपने भाव व्यक्त करने में थोड़ी आसानी हो जाती है.Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-83288504084142462562010-05-22T05:45:42.904-07:002010-05-22T05:45:42.904-07:00पानी की इक बूँद की खातिर ............टॉमी को नहाते...पानी की इक बूँद की खातिर ............टॉमी को नहाते देखा <br />बहुत सुन्दर दिलीप जी !<br /><br />वैसे एक बात कहूँ, ये कट-पेस्ट के असुविधा (लॉक ) ख़ास लाभकारी नहीं , जिसे चोरना होगा उसके पास बहुत सी डुप्लीकेट चाबियां है ! और मैं तो इस बात में बिश्वास रखता हूँ कि कोई हमारी रचना हे तो चोर ले जाएगा , हमारा दिमाग तो नहीं चुरा सकता न ! खैर, जैसा आपको उचित भाये !पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6945279121735926663.post-36321060385305465932010-05-22T05:39:31.933-07:002010-05-22T05:39:31.933-07:00आप अपनी संवेदनाओं को शब्द देने में माहिर हैं.झकझोर...आप अपनी संवेदनाओं को शब्द देने में माहिर हैं.झकझोरती है आपकी रचनाये.....Amit Sharmahttps://www.blogger.com/profile/15265175549736056144noreply@blogger.com