माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता...

Author: दिलीप /

मत सोच लेना की मुझे कुछ याद नही है,
इन आँसुओं संग मिलन की फरियाद बही है,
मन मे मेरे बस घाव है व आँख मे नमी,
शायद मेरा सब हर्ष सब उन्माद वहीं है,

लगता है पुनः हर्ष गीत गा नही सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता,

बचपन क्या गली मे अभी भी खेल रहा है,
वो स्वान क्या अभी भी ठंड झेल रहा है,
क्या मंदिरों मे बज रही है अब भी घंटियाँ,
क्या फिर पवन के साथ झूम बेल रहा है,

जानता हूँ इनके उत्तर पा नही सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता,

व्यर्थ है ये चंद्र और ये चाँदनी निर्मल,
घात करती है हृदय पे वायु भी शीतल,
पक्षियों का चहचाहना शोर लगता है,
चुभ रहे है कंटाकों से फूल भी कोमल,

स्पर्श-सुख तुझसा मैं इनमे पा नही सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता,

होलिका के संग शायद मैं भी जलता हूँ,
रंग के संग संग हृदय मे मैं भी घुलता हूँ,
दीपावली भी क्या नयी सौगात लाती है,
उसकी अंधेरी ठंड मे घुट घुट मैं गलता हूँ,

क्या करूँ कुछ स्वयं को समझा नही सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता,

दायित्व के गणितो मे जीवन फँस सा गया है,
फन्दो मे चार कौड़ियों के कस सा गया है,
कोई नही है अब जो यहाँ थाम ले मुझे,
मुझ पर तो मेरा भाग्य भी अब हंस सा रहा है,

कैसी है ये पहेलियाँ सुलझा नहीं सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता,

भगिनी की राखियों का मोल चार कौड़ियाँ?
माता के अश्रुओं का मोल चार कौड़ियाँ?
क्या भातृ के भी प्रेम का अब मोल है कोई,
है पितृ आशाओं का मोल चार कौड़ियाँ?

रिश्तों का ये व्यापार मैं चला नही सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता....

6 टिप्पणियाँ:

Unknown ने कहा…
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Unknown ने कहा…

dhanyawaad sanjay ji....

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

wah dilip,

दायित्व के गणितो मे जीवन फँस सा गया है,
फन्दो मे चार कौड़ियों के कस सा गया है,
कोई नही है अब जो यहाँ थाम ले मुझे,
मुझ पर तो मेरा भाग्य भी अब हंस सा रहा है,

कैसी है ये पहेलियाँ सुलझा नहीं सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता,

भगिनी की राखियों का मोल चार कौड़ियाँ?
माता के अश्रुओं का मोल चार कौड़ियाँ?
क्या भातृ के भी प्रेम का अब मोल है कोई,
है पितृ आशाओं का मोल चार कौड़ियाँ?

रिश्तों का ये व्यापार मैं चला नही सकता,
माँ, चाहता तो हूँ मगर मैं आ नही सकता....

bahut achcha likha hai, dheron badhai.

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

गूगल "है बातों में दम" में विजयी होने की बधाई!
आगे भी आपका लेखन उत्तरोत्तर नयी उचाइयां प्राप्त करे!

दिलीप ने कहा…

Dhanyawad Praveen aur Yogesh ji bas isi tarah ap logon ka protsahan milta rahe....

बेनामी ने कहा…

bahut he badhiyan

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